काश ......

हम शायर तो कभी थे ही नहीं दिल के अफ़सानो को लोगो ने शायरी का नाम दे दिया ,
काश की मासूमियत की भी होती जुबा कंही .....पर ये काश ही था ,इसलिए तो किसी ने पागल तो किसी ने आवारगी का   इल्जाम दे दिया .......