रिश्ते....


चले थे जिनके भरोसे पे हम दुनिया को छोड़ कर ,ना जाने कैसे वो रिश्ते राहों में छूट गए
धड़कनो पे जिनको इख्तियार दिया, कांच की तरह थे वो रिश्ते जो हाथो से छूट गये
 हमे आया ही नहीं रिश्ता निभाना शायद ,वरना उम्र इतनी छोटी भी नहीं थी यकीं के मेरे
सबब दिया है जिंदगी ने कुछ आज  जिंदगी को छीन कर हमे