वजूद.......

लहू-लुहान है मेरा वजूद तेरे शहर मे कंही
छलकते आंसुओ का कोई हिसाब तो हो
धड़कने चलती है तो लोग समझते है की जिंदा हूँ
बिखरती साँसों पे भी काश थोड़ा ऐतबार तो हो
मुझसे मत पूछ मेरी कहानी क्या थी.…ए जिंदगी तुझको ,तुझपे इख्तियार तो हो
चल मै  हार जाऊं एक और सबब जिंदगी का
शर्त बस इतनी है मेरे हारने की कीमत तेरे लिए प्यार तो हो