पत्थर ...

बड़ी देर तक महफ़िल में मुस्कुराये है हम अब जो आये है तन्हाई में तो आंसू छलक गए
मासूम से दिल  को मारे एक जमाना सा हो गया ,आते ही ख्याल दिल पर कई शोले गुजर गए
अब हममे और ज़माने में फर्क कन्हा है
वो रखते है कांच का दिल और हम  पत्थर से बन गए