धर्म ...

धर्म ईमान का अब रोना कैसा ,खुद हमने ही इन्हे अपना ईमान बना डाला
हर एक का यंहा अपना एक खुदा है
एक मुल्क में हमने दो जहान बना डाला
लहु के शायद अब दो रंग हो गए हैं
एक रंग से हमने हिंदु तो दुजे से मुसलमान बना डाला .......