फासले...

तो क्या हुआ जो हमने हाल ए दिल ना कहा ,गल्तिया तुमने भी तो कि है मेरी नजरो को ना पढ़ कर
हाँ मैंने कि है तुमसे लड़ाईया बहोत पर तुम भी कंहा आये अपनी जिद्द छोड़ कर
हम जिसे समझते रहे रूठने मनाने का सिलसिला ना जाने कब बन गया था वो हार जीत का खेल
अब तक सोचते है कि जीता कौन … वो जो हारा  था जिंदगी अपनी या जो खुद टुटा है फासले देकर