उड़ान

तेरी उड़ान तेरे हौसलों की हीं तरह बरक़रार रखना,मेरे दोस्त
रास्ते में सामना बिजली से भी हो सकता है 
कामयाबी की तरफ कदम रखना संभाल के 
की आदमी जमीं पे रौशनी से भी गिर सकता है 

दिल ऐ बेजार

ये बेचैनी ,ये खयाल ,ये गुमसुम सा दिल आज मेरा क्यों है 
उसे कंही खो ना दु... दिल में ये सवाल क्यों है 
अभि तो उसका हाँथ मेरे हाँथो मे है ,अभि तो मेरी आँखों को उसका दीदार भी है 
अभि अभि तो सिने से उसको लगाया मैंने ...... अभि तो उसके आने का इन्तजार भी है 
अभि तो मिली हूँ जिंदगी से एक अरसे के बाद ,अभि तो मेरी साँसों पे उसे इख्तियार भी है 
वो जो देखने की उसको एक आदत सी बना ली मैंने ,ये आदत ही जान लेगी ये एहसास भी है 
ये जानते थे कि एक रोज वो चला जाएगा.... फिर भी दिल उस्से लगाने कि खता की है 
कुछ लम्हे ही जी लु तो काफी है मोहब्बत में ...... कल का अंजाम सोच के ऐ दिल,तु अभि से इतना बेजार क्यों है 


बचपन

हम जिस वक़्त से निकल कर भागना चाहते थे कभी ,क्यों उस वक़्त में लौट जाने का कोई बहाना नहीं आता 
पहले भी होती थी रिश्तों में लड़ाईया अक्सर ,क्यों आज की लड़ाइयों में  रूठना मनाना नहीं आता 
फासले तो पहले भी आते थे,फासले आज भी हैं ........ क्यों बचपन की तरह हमें फासले मिटाना नहीं आता 
मासूम से दिलो को जजीरों ने बाँध दिया कब से..इन जकड़े हुए जंजीरो से क्यों खुद को हमें छुड़ाना नहीं आता 

अक्सर

जान ले लेती है मोहब्बत अक्सर
ये तो जिंदगी है जो साँसों का लिहाज रखती है
किसने चाहा है रिश्ता अंधेरो से बता दो 
बात जुगनू में है जो रातो को आफ़ताब रखती है। 

खनक .....

पैरो को पायल की खनक चाहिए थी घुंगरू बंधे तो हम कोठो के हकदार हो गए
 मुस्कराहट ने ही तो रख्ही है अब तक आंसुओ कि लाज वरना टुकड़ो में तो कई बार तार तार हो गए
दिल ए हाल पे हमको आ ही जाती है हंसी
की रिश्ते  निभाते निभाते ही हम नीलाम हो गए .......

सजा...

हर कोई देने  लगा है सजा मुझको ना जाने कितनो के गुनहगार बन गए है
सुना है हमारी मुस्कराहट से उनके दिल चुभते हैं  अब ,लो खुशियां जला  कर अपनी बेजार बन गये है  ...

अंजाम ...

शुरुवात हसीं थी दोस्ती की मगर बस अंजाम ने बेरुखी पे ला दिया है आज
कदम कदम पे कोई अपना छूटता रहा है मुझसे बस तन्हाइयो ने जीना सीखा दिया है आज !!

धर्म ...

धर्म ईमान का अब रोना कैसा ,खुद हमने ही इन्हे अपना ईमान बना डाला
हर एक का यंहा अपना एक खुदा है
एक मुल्क में हमने दो जहान बना डाला
लहु के शायद अब दो रंग हो गए हैं
एक रंग से हमने हिंदु तो दुजे से मुसलमान बना डाला .......

बेजार....

तुमसे जता ना पाये दिल ऐ हाल देखो हम
तेरे सामने ही हो गए बेजार देखो हम
बेबस तु भी रह गया  और  मै भी कुछ ना कह सकी
अब हर गली में  हो रहे है नीलाम देखो हम
ना लब पर आयी दिल की बात ना आँखे ही कुछ बता सकी
टुकड़ो में बट गये हैं जार जार देखो हम