दिल की बातो को जब कहना मुश्किल लगा ,
हाल ए दिल हमने सुनाया है तुम्हे अश्को की जुबा से 
फीर वही एहसास आज दिल को तोड़ रहा है
जैसे हर मोड़ पे हर  एक रिश्ता  मुझे पीछे छोड़ रहा है



काश ......

हम शायर तो कभी थे ही नहीं दिल के अफ़सानो को लोगो ने शायरी का नाम दे दिया ,
काश की मासूमियत की भी होती जुबा कंही .....पर ये काश ही था ,इसलिए तो किसी ने पागल तो किसी ने आवारगी का   इल्जाम दे दिया .......