इम्तिहान

जिंदगी अब नेरा इम्तिहान और मत ले ,बस कर दे रिहा मुझे  इन साँसों कि डोर से 
यूं गिर के सम्भलना,सम्भलकर चलना अब और नहीं होता,,
बहोत दूर आ गयी हूँ चलते चलते … मुझे एक और मुश्किल सफ़र और मत दे
हर रोज जीने कि वजह ढूंढ लेते थे जो आज उसके आसुओं ने वो वजह ले ली मुझसे 
अकेले हो गए है ऐसे कि अपनी ही लाश अपने काँधे पे ढ़ो रहे है ...................

हसरतें .......

दिल कि हसरतो को दिल में दफना दिया हमने
जो सपने देखे आँखों ने ,आँसुओ में बहा दिया हमने
रस्मो कि दिवार तोडना मुश्किल लगा
दिल तोड़कर तुम्हारा लो खुद को कातिल बना दिया हमने . .............