जिंदगी अब नेरा इम्तिहान और मत ले ,बस कर दे रिहा मुझे इन साँसों कि डोर से
यूं गिर के सम्भलना,सम्भलकर चलना अब और नहीं होता,,
बहोत दूर आ गयी हूँ चलते चलते … मुझे एक और मुश्किल सफ़र और मत दे
हर रोज जीने कि वजह ढूंढ लेते थे जो आज उसके आसुओं ने वो वजह ले ली मुझसे
अकेले हो गए है ऐसे कि अपनी ही लाश अपने काँधे पे ढ़ो रहे है ...................