जिन्दगी

आंधिया कुछ तेज चली है जिन्दगी में मगर
अब खुदा से शिकायत नहीं की जिन्दगी थोड़ी है
आरजु दौर के उस मुकाम पे है
जहा आखरी सांस भी मैंने तेरे लिए रख छोड़ी है...