इस तूफ़ान में कश्ती का किनारा बदलता रहा

आंधिया टकराकर हमसे चली जाती है ... इस तूफ़ान में कश्ती का किनारा बदलता रहा
जब तक थामा था उसने हाथ तो हौसला बुलंद था ,,,उसके जाने के बाद तो बस पैमाना बदलता रहा
बड़ी दूर आ चुके है हम चलते चलते ,,गुनाह तो एक था बस जुरमाना बदलता रहा 
वो कहते है की समझते है दिल का हाल मेरे ...और हमारा हाल ऐसा है की अपने ही मौहल्ले में अपना आशियाना बदलता रहा  !!!