जिन्दगी....!!!

कहने को तो कई हमकदम थे पर हमसफ़र एक भी बनाना मुश्किल लगा
एक अँधेरी दुनिया में यंहा जीते है सब.... इन्हें आइना दिखाना मुश्किल लगा
मंजिल पाने की तमन्ना तो रखते है   मंजिल का रास्ता बनाना मुश्किल लगा
दोस्तों की भीड़  सबने बना रक्खी है पर सच्ची दोस्ती निभाना मुस्किल लगा
शायद इसी का नाम जिन्दगी है की जिन्दगी को जिन्दगी से मिलाना मुश्किल लगा !!!

जिन्दगी

आंधिया कुछ तेज चली है जिन्दगी में मगर
अब खुदा से शिकायत नहीं की जिन्दगी थोड़ी है
आरजु दौर के उस मुकाम पे है
जहा आखरी सांस भी मैंने तेरे लिए रख छोड़ी है...

प्यार ....????

प्यार...कभी खुशनुमा एहसास  तो कभी अश्को की वजह भी रहा
कभी लम्बा इंतजार तो कभी दुनिया से लड़ जाने का सबब भी रहा
किसी के हिस्से में ख़ुशी आयी .....तो किसी ने दिल ही दिल में दिल को समझा लिया
किसी ने कर ली बगावत कंही तो किसी ने खुद को बहला लिया
अजब सा एहसास है ये जो मेरे लफ्ज बयां कर पाएंगे नहीं
वक़्त कम है ...........

 .और इस अफसाने को मोड़ तक लाना मुश्किल..!!!