बचपन

हम जिस वक़्त से निकल कर भागना चाहते थे कभी ,क्यों उस वक़्त में लौट जाने का कोई बहाना नहीं आता 
पहले भी होती थी रिश्तों में लड़ाईया अक्सर ,क्यों आज की लड़ाइयों में  रूठना मनाना नहीं आता 
फासले तो पहले भी आते थे,फासले आज भी हैं ........ क्यों बचपन की तरह हमें फासले मिटाना नहीं आता 
मासूम से दिलो को जजीरों ने बाँध दिया कब से..इन जकड़े हुए जंजीरो से क्यों खुद को हमें छुड़ाना नहीं आता