धर्म ...

धर्म ईमान का अब रोना कैसा ,खुद हमने ही इन्हे अपना ईमान बना डाला
हर एक का यंहा अपना एक खुदा है
एक मुल्क में हमने दो जहान बना डाला
लहु के शायद अब दो रंग हो गए हैं
एक रंग से हमने हिंदु तो दुजे से मुसलमान बना डाला .......

बेजार....

तुमसे जता ना पाये दिल ऐ हाल देखो हम
तेरे सामने ही हो गए बेजार देखो हम
बेबस तु भी रह गया  और  मै भी कुछ ना कह सकी
अब हर गली में  हो रहे है नीलाम देखो हम
ना लब पर आयी दिल की बात ना आँखे ही कुछ बता सकी
टुकड़ो में बट गये हैं जार जार देखो हम