"मंजिल"

मिलेगी मंजिल इतना हौसला तो अब भी है,, फकत लकीरों से ही कभी आसमा नहीं मिलता
तू मेरे आज को देख कर मेरी उड़ान का अंदाज़ा न लगा,हमे यकीं है अपने इरादों पे ......क्योंकि सिर्फ नसीब से ही सबको अपने हिस्से का " जहां " नहीं मिलता.....

 

मौसम'

कई लोग मिले "अपने" बहारो के मौसम में ,
बस पतझड में ही कोई "अपना " नजर नहीं आया....



हाल- ए- दिल

 हाल ए दिल जब हमको सुनाना मुश्किल लगा ,हमने कागज के पन्नो से दोस्ती कर ली
 चोट तो उनको भी मिला  होगा स्याही से,काश के वो बता पाते कैसे बसर उसने ये जिन्दगी कर ली





ए जिन्दगी गिला करे तो क्या करे इस मोड़ पे

ए जिन्दगी गिला करे तो क्या करे इस मोड़ पे
कभी ख़ुशी से ज्यादा दे दिया तो कभी खोने को भी कुछ ना रहा 
कभी दोस्तों की भीड़ थी तो कभी एक दोस्त ना मिला
कभी चांदनी सी लगी ये  रात, तो  कभी चांदनी से दिल जला
कभी मिल गया मांगे बिना ..कभी पाकर सब कुछ खो गया
तु दूर है तू पास है ,,तू पास होकर दूर है
हर मोड़ पे हर दौर में य़े एक सिलसिला कायम रहा
ए जिन्दगी गिला करे तो क्या करे इस मोड़ पे