बेजुबां..

ए खुदा आंसुओ को जुबां देदो ,बेजुबां दिल की गवाही हम सुनाये कैसे
चोट सीने पे हो तो सह भी जाए.… टुकड़े दिल के कोई दिखाए कैसे
ए मोहब्बत तेरी  तक़दीर पे आई है हंसी ,
खंजर किसी अपने ने चलाया है बताये कैसे…।

आइना

आइना देखा ही नहीं सालो से तुम्हे आइना मानकर
अब जो आये है आईने के सामने तो पूछता है कौन हूँ  मैं

रिश्ते....


चले थे जिनके भरोसे पे हम दुनिया को छोड़ कर ,ना जाने कैसे वो रिश्ते राहों में छूट गए
धड़कनो पे जिनको इख्तियार दिया, कांच की तरह थे वो रिश्ते जो हाथो से छूट गये
 हमे आया ही नहीं रिश्ता निभाना शायद ,वरना उम्र इतनी छोटी भी नहीं थी यकीं के मेरे
सबब दिया है जिंदगी ने कुछ आज  जिंदगी को छीन कर हमे