तवायफ....

एक तमाशा भरी जिंदगी बन गयी,
क्या थे पहले कभी आज क्या बन गयी…
एक खिलोने से ज्यादा मै  कुछ भी नहीं
आज तवायफ सी मेरी हया बन गयी
दिल पर बस बोझ अब इन् साँसों का है
पर धड़कने ही मेरी बेड़िया बन गयी
इस दुनिया के साथ हम चल न सके.…
जिंदगी की मेरे ये खता बन गयी
दर्द दिल का बयां हमसे होता नहीं
कोई पत्थर की सहमी नीशा बन गयी
जो भी चाहे मुझे आकर लूट ले
अब तो बदनाम सी मै एक दास्तां बन गयी....

कब तक जिंदगी यूँही किश्तों में जिएंगे हम

कब तक जिंदगी यूँही किश्तों में जिएंगे हम ,किसी ना किसी को को कभी तो आवाज उठानी होगी
बहोत सह लिया है अब ना आजमाओ हमे … कभी ना कभी कीमत तुमको भी चुकानी होगी