"मंजिल"

मिलेगी मंजिल इतना हौसला तो अब भी है,, फकत लकीरों से ही कभी आसमा नहीं मिलता
तू मेरे आज को देख कर मेरी उड़ान का अंदाज़ा न लगा,हमे यकीं है अपने इरादों पे ......क्योंकि सिर्फ नसीब से ही सबको अपने हिस्से का " जहां " नहीं मिलता.....