फलसफा...जिंदगी का !

बड़ी देर तक जलाया है अरमानों को मशालों की तरह
कैसे बदलते है तकदीरों को कोई बता तो दे
सहमा है मेरा दिल इस दुनिया के रंग से
ए वक़्त तेरे साथ चल सकु कुछ ऐसा फलसफा तो दे .....