खामोशि...

हालांकि इस दिल की जरुरत थोड़ी थोड़ी है बस तेरे साथ की तमन्ना पर मेरा इख्तियार नहीं होता 
तू साथ तो जरूर है फिर भी तेरा इन्तजार रहता है आज कल ,ये थमा हुआ वक़्त क्यों अब पार नहीं होता 
वो लम्हे जो तेरे बिन मेरे जिन्दगी में आये ..तोड़ देंगे मुझे इतना ए ऐतबार नहीं होता 
नमी सी आ गयी आँखों में जो गुजरते वक़्त में ढूंडा तुझे पर क्यों  आन्सुऒ पे दिल का इख्तियार नहीं होता 
सोचते है खुद को बदल देंगे ,पर बदले बिना रिश्ता निभाना क्या साकार नहीं होता 
अल्फाज नहीं आज तुमसे  कुछ कहने के लिए पर खामोशियो का मतलब सिर्फ तकरार नहीं होता

आज कल...

अपने जस्बात जाताना कितना मुश्किल है आज कल
जन्हा  कहने कि तमन्ना थी वंहा इनका जिक्र फसानों  कि तरह आये  है
हंसी आती है जिंदगी के इस मोड़ पर
जब दोस्तों कि जरुरत थी तो  जहन में सारे नाम बेगानो कि तरह आये है
दर्द सबको है बस जताने का अंदाज अलग रहा
कुछ ने इससे मान लिया किस्मत समझ कर तो कुछ बगावत कर मैखाने कि तरफ आये है

फासले...

तो क्या हुआ जो हमने हाल ए दिल ना कहा ,गल्तिया तुमने भी तो कि है मेरी नजरो को ना पढ़ कर
हाँ मैंने कि है तुमसे लड़ाईया बहोत पर तुम भी कंहा आये अपनी जिद्द छोड़ कर
हम जिसे समझते रहे रूठने मनाने का सिलसिला ना जाने कब बन गया था वो हार जीत का खेल
अब तक सोचते है कि जीता कौन … वो जो हारा  था जिंदगी अपनी या जो खुद टुटा है फासले देकर

पैह्चान ..

मेरी पैह्चान मेरे नाम से नहीं होती है आज कल ,तुझे देखकर भी मेरा जिक्र सरे  आम रहा
लाख मैंने बताया अपने बारे में सबको पर  सच तो ये है खुद मुझसे मेरा अक्स अनजान रहा
कई रंग दिए इस रिश्ते को जमाने ने मगर सादगी उनको दिल कि क्या दिखाते  हम
पाक होते है  रिश्ते बस  फर्क नजरो का है .... कुछ  जिसे नाम देकर हस्ते है  किसी के लिए वो  दुआओं का दूसरा नाम रहा