खनक .....

पैरो को पायल की खनक चाहिए थी घुंगरू बंधे तो हम कोठो के हकदार हो गए
 मुस्कराहट ने ही तो रख्ही है अब तक आंसुओ कि लाज वरना टुकड़ो में तो कई बार तार तार हो गए
दिल ए हाल पे हमको आ ही जाती है हंसी
की रिश्ते  निभाते निभाते ही हम नीलाम हो गए .......

सजा...

हर कोई देने  लगा है सजा मुझको ना जाने कितनो के गुनहगार बन गए है
सुना है हमारी मुस्कराहट से उनके दिल चुभते हैं  अब ,लो खुशियां जला  कर अपनी बेजार बन गये है  ...

अंजाम ...

शुरुवात हसीं थी दोस्ती की मगर बस अंजाम ने बेरुखी पे ला दिया है आज
कदम कदम पे कोई अपना छूटता रहा है मुझसे बस तन्हाइयो ने जीना सीखा दिया है आज !!