दुवा

"खुद अपने ही हाल पर हसने लगे है हम.… और लोग कहते है कि सिर्फ़  पीने से नशा होता है
क्यों जाते है लोग मंदिरो मे खुदा  को ढुंढने,,जंहा बस्ता है प्यार हर उस रिश्ते मे खुदा होता है
मुश्किलें काली रातों मे अमावश हो भले…ये भी सच है कि हर रात के बाद सुबह होता है
झोली फैला कर क्या मांगे खुदा से… .जब जब आता है तेरा नाम लब पर खुद वो दुवा होता   है "